मुर्ख बाप और बेटे- Moral Story In Hindi
एक कुंभार था । उसका एक लड़का था । एक दिन बाप और बेटे दोनों कुछ काम के लिए शहर जा रहे थे । वे अपने गधे को भी साथ ले जा रहे थे । आगे बाप ,बिच में गधा और पीछे बेटा ऐसे वो लोग चल रहे थे ।
थोड़ा सा चलते ही एक गाँव आ गया । गाँव में कुछ बच्चे खेल रहे थे । उस बच्चो ने ये तीनो का जुलूस देखा । यह देख कर एक लड़का बोला , ” ये तो कोई मुर्ख लोग ही लग रहे है । गधा अकेला जा रहा है और ये दोनों चल रहे है । क्यों ये बाप अपने बेटे को इस गधे के ऊपर नहीं बिठाता ? ”
कुंभार ने इस बच्चे की बात सुनी और उसने अपने बेटे को गधे के ऊपर बैठा दिया और वो लोग आगे चलने लगे । थोड़ा सा चलते ही दूसरा गाँव आ गया । इस गाँव में कुछ लोगों का झुंड था और सब मिल कर ये दोनों को देखकर बात कर रहे थे । वो लोग बोल रहे थे की देखो कैसा कलियुग है बेटा आराम से गधे के ऊपर बैठा है और बाप बिचारा चल रहा है ।
बेटे ने यह सुना और उसने बाप को गधे के ऊपर बैठा दिया और वो खुद चलने लगा । इस तरह चलते -चलते कुछ देर बाद तीसरा गाँव आ गया । इस गाँव में कुछ महिलाये कुंवे में से पानी निकलकर पानी भर रही थी । इस बाप-बेटे को देखकर ये महिलाये भी बाते करने लगी ।
उसमे से एक महिला ने अपनी सहेली को बोला की ” देखो बाप सवारी कर रहा है और बिचारा बेटा चल रहा है । क्यों न ये बाप अपने बेटे को भी अपने साथ इस गधे पर बैठने दे ? ”
उस महिला की बात सुनकर बाप ने अपने बेटे को भी गधे के ऊपर बैठा दिया । बाप-बेटे अब आगे चलने लगे । अब शहर नजदीक ही था । वहा पर एक शहर का आदमी घुमने निकला था । उसने ये दोनों को गधे के ऊपर बैठे देखा और कुंभार को बोला की ये गधा आपका है ? कुंभार ने कहा जी ये गधा मेरा है ।
वो आदमी ने बोला की आप दोनों को इस गधे की जरा भी दया नहीं आती है ? आप दोने के भार से ये गधा बिचारा मर जायेगा । इस गधे को भी थोड़ी देर के लिए आराम देना चाहिए । आप दोनों इस गधे को थोड़ी देर के लिए उठा लो ।
बाप और बेटे में ज्यादा अक्कल नहीं थी । वो दोनों ने गधे के चार पैर लकड़ी से बांध दिए और उस लकड़ी को अपने कंधे कर रख दिया । गधे को ऐसे लटकते हुए देखकर रास्ते में लोगों की भीड़ जमा हो गयी । रास्ते में एक नदी आयी । नदी के ऊपर पुल था । लोगों की भीड़ से गधा हिलने लगा । गधे के पैर पर जो रस्सी बंधी थी वो टूट गयी और गधा नदी में गिर गया । गधा नदी में डूब गया था ।
बाप ने बेटे को समजाते हुए बोला की ये सब हमारे साथ लोगों की बुद्धि के हिसाब से चलने के कारन हुआ और हमने अपना गधा गुमा दिया ।
Moral : हमें सुनना सबका चाहिए पर करना सिर्फ वही चाहिए जो हमें ठीक लगे । हमारी ज़िंदगी में भी ऐसा कई बार होता है की हम दुसरो की सुनते है और फिर बाद में पछ्ताते है । इस लिए हमारे लिए बेहतर यही होता है की हम सबका सुने पर करे सिर्फ वही जो हमें अच्छा लगे ।
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