Panchtantra Kids Story In Hindi – नकली तोता
हमें जितनी जरुरत हो सिर्फ उतना ही बोलना चाहिए क्योकि जरुरत से ज्यादा बोलने के कारण हम अपनी अहमियत खो देते है । ये कहानी (Panchtantra Kids Story In Hindi – नकली तोता) भी उसी के बारे में है ।
एक घने जंगल में एक नीम का विशाल पेड़ था । उस पेड़ पर बहुत सारे तोते रहा करते थे । सभी तोते हमेशा मिलकर बिना काम काज की गप करते थे । उन सभी तोतो के साथ एक कोको नाम का भी तोता रहता था किन्तु ये तोता बहुत कम बोलता था ।
बाकि सभी उस कोको तोते की मजाक उड़ाया करते थे लेकिन ये कोको कभी भी किसी की बात का बुरा नहीं मानता था । एक दिन हररोज की तरह सारे तोते बैठ कर बाते कर रहे थे , तभी भी ये कोको चुपचाप ही बैठा था ।
कोको को इतना चुप देखकर तोतों के मुखिया ने उसे कहा की तुम तो मुझे असली तोते लगते ही नहीं हो , तुम तो नकली तोते हो । मुखिया की ये बात सुनकर सभी तोते इस कोको को नकली तोता – नकली तोता बोलकर चिढ़ाने लगे पर कोको तो अभी भी चुपचाप ही बैठा था ।
एक दिन अँधेरी रात को उस मुखिया तोते की बीवी का हार चोरी हो जाता है । मुखिया की बीवी रोते – रोते पूरी बात मुखिया को बताती है । वो कहती है की किसी ने मेरा हार चोरी कर लिया है और मुझे ऐसा लगता है की वो हमारी झुंड में से ही कोई है ।
मुखिया ने अपनी बीवी की बात सुनकर तुरंत सभा बुलाई । सभी तोते तुरंत सभा के लिए इकट्ठा हो गए । मुखिया ने कहा की मेरी बीवी का हार चोरी हो गया है और मेरी बीवी ने उस चोर को भागते हुए भी देखा है ।
चोर आप लोगो में से ही कोई है । मुखिया की बात सुनकर सभी हैरान हो जाते है । मुखिया ने कहा चोर की चोंच लाल रंग की थी वैसा मेरी बीवी ने कहा था ।
अब सारे तोते कोको और हैरी को देखने लगते है क्योकि इस पुरे तोतो के झुंड के सिर्फ ये दोनों की ही चोंच लाल रंग की थी । सभी तोते मुखिया से कहते है की आप चोर का पता लगाइये ।
मुखिया सोचता है की ये दोनों तोते तो मेरे अपने है , में कैसे इनसे पूछ सकता हु की क्या आपने चोरी की है ? मुखिया ने एक कौवे से इसका पता लगाने के लिए मदद ली । असली चोर कौन है ये पता लगाने के लिए कौवे को बुलाया गया ।
कौवे ने लाल चोंच वाले कोको तथा हैरी तोते को अपने पास बुलाया । कौवे ने दोनों तोतों से पूछा कि तुम दोनों चोरी के समय कहां थे ? कौवे का प्रश्न सुनते ही हैरी तोता जोर जोर से चिल्ला के बोलने लगा की में उस समय सो रहा था । कोको ने धीरे से कहा में उस रात सो रहा था ।
इस दोनों की बात सुनकर अब कौवे ने कहा की तुम दोनों अपनी बात साबित करने के लिए क्या कर सकते हो ? तभी हैरी तोते ने तेज आवाज में कहा , में तो उस रात सो रहा था और ये बात तो सभी जानते ही है , ये चोरी कोको ने की होगी इसलिए वह इतना शांत होकर खड़ा है ।
कोको ने फिर धीमी आवाज में कहा की मेने ये चोरी नहीं की है ।
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इतना सुनकर कौवा मुस्कुराकर बोला कि चोर का पता लग गया है । मुखिया ने कहा बताओ कौन है असली चोर ? तभी कौवे ने कहा की असली चोर हैरी है , उसने ही हार की चोरी की है ।
कौवे की बात सुनकर मुखिया ने और बाकि सभी ने कौवे से पूछा की आप ये कैसे कह सकते हो ? कौवे ने बताया की हैरी तोता जोर – जोर से चिल्ला कर अपने झूठ को सच साबित करने में लगा था किन्तु कोको तोता अपनी बात आराम से कह रहा था ।
हैरी तोता बहुत बोलता है, उसकी बात पर भरोसा नहीं किया जा सकता है । इसके बाद हैरी तोता अपना जुर्म कबूल कर लेता है और मुखिया से माफ़ी भी मांग लेता है ।
बाकि सारे तोते हैरी तोते को कड़ी सजा देने के लिए मुखिया से कहने लगे , तभी कोको तोते ने कहा की हैरी ने ये गलती पहली बार की है और उसने अपनी गलती भी मान ली है , इसलिए हमें उसे माफ कर देना चाहिए ।
मुखिया ने कोको की बात सुनी और हैरी को माफ़ भी कर दिया ।
Moral : हमें सिर्फ जरूरत के समय पर ही बोलना चाहिए क्योकि कभी – कभी हम ज्यादा बोलकर अपनी अहमियत खो देते हैं।
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