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सच्चा पुण्य – Inspiring Short Story In Hindi

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Written by Abhishri vithalani

सच्चा पुण्य – Inspiring Short Story In Hindi

सभी धर्मग्रंथो में परोपकार को श्रेठ धर्म माना गया है। सही मायने में परोपकार से ही पुण्य फलित होता है। इस कहानी (सच्चा पुण्य – Inspiring Short Story In Hindi) में भी उसी के बारे में बात की गई है।

संत एकनाथ महाराष्ट्र के विख्यात संत थे। वह स्वभाव से अत्यंत सरल और परोपकारी थे। एक दिन उनके मन में विचार आया की प्रयाग पहुंचकर त्रिवेणी में स्नान करे और फिर त्रिवेणी से पवित्र जल भरकर रामेश्वरम में चढ़ाये।

उन्होंने अन्य संतो के समक्ष अपनी यह इच्छा व्यक्त की। सभी ने हर्ष जताते हुए सामूहिक यात्रा का निर्णय लिया। एकनाथ सभी संतो के साथ प्रयाग पहुंचे। सभी ने त्रिवेणी में स्नान किया। उसके बाद अपनी – अपनी कांवड़ में त्रिवेणी का पवित्र जल भर लिया।

पूजा – पाठ से निवृत हो कर सबने भोजन किया फिर रामेश्वरम की यात्रा पर निकल पड़े। संतो का यह समूह यात्रा के मध्य में ही था की मार्ग में एक गधा दिखाई दिया। वह प्यास से तड़प रहा था और चल भी नहीं पा रहा था।

सभी संतो के मन में दया उपजी, लेकिन उनके कांवड़ का जल तो रामेश्वरम के निमित था इसलिए सबने अपने मन को कड़ा कर लिया। किन्तु एकनाथ से रहा नहीं गया। उन्होंने तत्काल अपनी कांवड़ से पानी निकल कर गधे को पिला दिया।

प्यास बुझने के बाद गधे को मानो नया जीवन प्राप्त हो गया। वह उठकर सामने घास चरने लगा। संतो ने एकनाथ से कहा, आप तो रामेश्वरम जाकर तीर्थ जल चढाने से वंचित हो गए।

एकनाथ बोले – ईश्वर तो सभी जीवो में व्याप्त है। मैंने अपनी कांवड़ से एक प्यासे जिव को पानी पिलाकर उसकी प्राणरक्षा की है। इसी से मुझे रामेश्वरम जाने का पुण्य मिल गया।

वस्तुत: धार्मिक विधि – विधानों के पालन से बढ़कर मानवीयता का पालन है। जिसके निर्वाह पर ही सच्चा पुण्य प्राप्त होता है। सभी धर्मग्रंथो में परोपकार को श्रेठ धर्म माना गया है। सही मायने में परोपकार से ही पुण्य फलित होता है।

ईश्वर की सच्ची उपासना भी यही है। यही बात संत एकनाथ ने अपने आचरण से साबित की। सारे संत उनकी बात सुन उनके नतमस्तक हो गए।

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Abhishri vithalani

I am a Hindi Blogger. I like to write stories in Hindi. I hope you will learn something by reading my blog, and your attitude toward living will also change.

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