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साधु की इच्छा – Short Story In Hindi

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Written by Abhishri vithalani

साधु की इच्छा – Short Story In Hindi

एक गाँव में एक साधु रहते था । वो साधु एक दिन वन में अपनी कुटिया की ओर जा रहे थे । वन में अपनी कुटिया की ओर जाने के लिए उन्हें बाजार में से गुजरना पड़ा क्योकि वन जाने का रास्ता बाजार में से ही निकलता था । बाजार में से गुजरते हुए उनकी नजर आम बेचने वाले पे पड़ गयी । आम को देखकर साधु की इच्छा आम खाने की हो गयी ।

साधु ने उस आम बेचने वाले के पास जाकर आम की कीमत पूछी । लेकिन साधु के पास फ़िलहाल आम खरीदने के पैसे नहीं थे । उन्होंने अपनी आम खाने की इच्छा को ठुकराते हुए वन में अपनी कुटिया की ओर बढ़ने का फैसला लिया ।

साधु अब वन की ओर जाने लगे । कुछ ही देर में वो अपनी कुटिया में पहोच गए । अभी भी साधु के मन में आम खाने की इच्छा जिवंत थी । उनको बार – बार आम के ही विचार आ रहे थे । आम खाने की इच्छा की वजह से साधु रात भर सो भी नहीं पाए ।

वो अगली सुबह जगे और उन्होंने तय किया की आज में आम खरीदकर ही रहुगा । उन्होंने सोचा की में वन में से सुखी लकडिया इकट्ठा करूँगा और उसे बेचकर आम खरीदूंगा । वो सुखी लकडिया इकट्ठा करने लगे ।

लकडिया इकट्ठा करने के बाद वे बाजार की तरफ चलने लगे । लकडियोका भार ज्यादा था इसलिए साधु को चलने में दिक्क्त हो रही थी । वो जैसे तैसे करके बड़ी मुश्किल से बाजार पहुंचे । बाजार पहुंचकर उन्होंने लकडिया बेच दी और आम खरीद लिए ।

साधु ने सोचा की में वन में अपनी कुटीर में जाकर आराम से आम खाऊंगा । वो आम लेकर वन की ओर चलने लगे । रास्ते में उन्होंने सोचा की आज मुझे आम खाने की इच्छा हुई है कल कोई दूसरी इच्छा होगी ।

मुझे अपनी इस आम खाने की इच्छा की वजह से आज बहुत दुखी होना पड़ा । में अपनी इच्छा के कारन ही आज इतना दुःखी हुआ हु । आगे जाके मुझे और भी इच्छा हो सकती है जैसे की नए वस्त्र की , बड़ा सा घर लेने की , धन की ।

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इस तरह से में अपनी इच्छा का दास बन जाऊंगा । ऐसे विचार आने से साधु ने ये आम खाने का विचार ही त्याग दिया । रास्ते में एक गरीब आदमी गुजर रहा था । साधु ने सोचा की में ये आम उसे दे दू और अपनी आम खाने की इच्छा को काबू में कर लू ।

उन्होंने सारे आम उस गरीब आदमी को दे दिए और वन में अपनी कुटीर में चले गए । इस तरह से उन्होंने अपनी इच्छा को काबू में कर लिया ।

अगर हम अपनी इच्छाओ के आगे हार जायेगे तो हमें हमेशा के लिए अपनी इच्छा का दास बनना पड़ेगा । हमारा मन चंचल होता है । मन में हमेशा कोई ना कोई इच्छा उत्पन्न होती रहती है और हम भी उन इच्छा को पूरा करने के लिए कुछ भी करने के लिए तैयार हो जाते है ।

हमें अपनी इच्छा पूरी करनी चाहिए और उसे पूरा करने के लिए हमसे जो भी होता है वो करना चाहिए पर दुखी होकर नहीं । हमें सोच कर ही हमारी इच्छा पूरी करने के लिए आगे बढ़ना चाहिए तभी हमें सफलता मिलती है ।

हमें कभी भी इच्छाओ का दास नहीं बनना चाहिए पर हमारी इच्छाओ को अपना दास बनाना चाहिए ।

About the author

Abhishri vithalani

I am a Hindi Blogger. I like to write stories in Hindi. I hope you will learn something by reading my blog, and your attitude toward living will also change.

1 Comment

  • हमें कभी भी इच्छाओ का दास नहीं बनना चाहिए पर हमारी इच्छाओ को अपना दास बनाना चाहिए ।

    aapne yaha last ki line boli hai

    na yaha sahi hai aap ase he story

    likh kar hume motivte karte rahia

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