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संतोष का फल – Short Inspiring Story In Hindi

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Written by Abhishri vithalani

संतोष का फल – Short Inspiring Story In Hindi

इंसान को चाहे कितना भी क्यों ना मिल जाए पर फिर भी वह हमेशा असंतुष्ट ही रहता है। उसे जितना भी मिलता है उसे उससे और ज्यादा ही चाहिए होता है। इस और ज्यादा चाह में वो जो इसके पास पहले से होता है उसे भी शांति से उपयोग नहीं कर पाता है। अगर हम असंतुष्ट की बजाय हमें जो मिलता है उसमे संतुष्ट हो जाए तो हमें उसका फल जरूर मिलता है। ये कहानी (संतोष का फल – Short Inspiring Story In Hindi) भी उसी के बारे में है।

एक बार एक देश में अकाल पड़ा। लोग भूखे मरने लगे। नगर में एक धनी दयालु पुरुष था। उसने देखा की छोटे छोटे बच्चे इस अकाल की वजह से भूख से पीड़ित होकर मर रहे है। वह बहुत दयालु था और उसके पास धन भी था।

उसे इन छोटे छोटे बच्चो की दया आ गयी। उसने प्रतिदिन सभी छोटे बच्चो को एक रोटी देने की घोषणा कर दी। जिससे इस अकाल की स्थिति में किसी भी बच्चे को भूख का सामना ना करना पड़े।

दूसरे दिन सबेरे बगीचे में सब छोटे छोटे बच्चे इकठ्ठे हुए। उन्हें रोटियां बंटने लगी। रोटियां छोटी बड़ी थी। सभी बच्चे एक – दुसरो को धक्का देकर बड़ी रोटी पाने का प्रयत्न कर रहे थे।

उन सभी बच्चो के बिच केवल एक छोटी लड़की एक ओर चुपचाप खड़ी थी। वह सबसे अंत में आगे बढ़ी। जो सभी को रोटियां बाँट रहे थे उनके टोकरे में अंतिम एक छोटी सी रोटी बची थी। उस छोटी लड़की ने उसे प्रसन्नता से ले लिया और वह घर चली गयी।

दूसरे दिन फिर रोटियां बांटी गयी। उस छोटी सी लड़की को आज भी सबसे छोटी रोटी मिली क्योकि वो दुसरो की तरह धक्का मार के बड़ी रोटी पाने का प्रयत्न नहीं कर रही थी। उसे जो मिलता था उसी में वह संतुष्ट थी।

लड़की ने जब घर लौटकर रोटी तोड़ी तो रोटी में से सोने की एक मुहर निकली। उसकी माता ने कहा की बेटा ये मुहार हमारी नहीं है , तुम इसे उस धनी को दे आओ। लड़की दौड़ी दौड़ी उस धनी के घर पर गयी।

धनी ने उस छोटी सी लड़की को देखकर पूछा की बेटा तुम यहाँ पर क्यों आयी हो? लड़की ने कहा मेरी रोटी में ये मुहर निकली है। आंटे में गिर गयी होंगी , में इसे देने के लिए ही आयी हु। कृपया करके आप अपनी मुहर ले लीजिये।

धनी उस छोटी सी बच्ची की ईमानदारी को देखकर बहुत ज्यादा खुश हो गया और उसने उस बच्ची को अपनी धर्मपुत्री बना लिया। साथ ही साथ उस धनी पुरुष ने उस लड़की की माता के लिए मासिक वेतन निश्चित कर दिया और उसे अपने घर पर काम पे रख लिया। बड़ी होने पर वही लड़की उस धनी की उत्तराधिकारी बन गयी।

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About the author

Abhishri vithalani

I am a Hindi Blogger. I like to write stories in Hindi. I hope you will learn something by reading my blog, and your attitude toward living will also change.

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