सेठ का पाजामा – Short Moral Story In Hindi
कीसी काम को करवाने के लिए सुनिश्चिंत कर लेना चाहिए कि वह काम किसे करना है। क्योकि जब आपस में बात नहीं होती है तो सभी लोग अपने अपने हिसाब से काम करते है और अंत में वह काम बिगड़ जाता है। इसलिए बेहतर यही है कि हम पहले से ही सुनिश्चिंत कर ले की किसको क्या काम करना है। इस कहानी (सेठ का पाजामा – Short Moral Story In Hindi) में भी उसी के बारे में बताया गया है।
एक कंजूस सेठ था। वह रोजाना एक ही पाजामा पहनकर दुकान पर जाता था। पाजामा काफी पुराना हो गया था और जगह – जगह से फट गया था। घरवालों और परिचितों के बार – बार कहने पर उसने बड़ी हिम्मत करके अपने लिए एक नया पाजामा सिलवाया।
घर जाकर जब उसने पाजामा पहना तो वह चार अंगुल बड़ा था। सेठ अपनी पत्नी के पास आया और बोला कि यह पाजामा चार अंगुल बड़ा है, इसे काटकर छोटा कर दो।
पत्नी ने कहा कि मै अभी रसोई में काम कर रही हु बाद में करुँगी। वह पाजामा लेकर अपनी पुत्रवधु के पास गया और उससे भी यही कहा, वह बोली कि मै अभी घर की साफ़ – सफाई कर रही हु।
सेठ बेटी के पास पंहुचा तो वह भी पढाई में व्यस्त थी। उसने भी उसे टाल दिया। सेठ पुराना पाजामा पहनकर ही दूकान चला गया। उसके जाने के बाद जब सेठानी काम से फ्री हुई तो उसे याद आया की उसके पति ने पाजामा चार अंगुल छोटा करने को कहा था।
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अंत: उसने पजामे को काटकर ठीक कर दिया। कुछ देर बाद उसकी पुत्रवधु का काम भी खत्म हो गया, उसे भी ससुर जी के पजामे को काटकर चार अंगुल छोटा करना है ऐसा याद आया, उसने भी कर दिया।
इसके बाद बारी थी बेटी की, उसने भी अपने पिता की आज्ञा का पालन किया। शाम को जब सेठ घर वापस लौटा तो उसका पाजामा बारह अंगुल कटकर बेकार हो चूका था।
Moral : कीसी काम को करवाने के लिए सुनिश्चिंत कर लेना चाहिए कि वह काम किसे करना है।
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