Panchtantra

शहरी चूहा और गांव का चूहा – Panchtantra Story In Hindi

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Written by Abhishri vithalani

शहरी चूहा और गांव का चूहा – Panchtantra Story In Hindi

समृद्धि और आराम के मुकाबले, सुरक्षित जीवन ही असली सुख और संतोष प्रदान करता है। ये कहानी (शहरी चूहा और गांव का चूहा – Panchtantra Story In Hindi) उसी के बारे में है।

एक समय की बात है, दो अच्छे दोस्त थे, एक शहरी चूहा और दूसरा गांव का चूहा। शहर का चूहा शहर में रहता था, जबकि गांव का चूहा गांव में बसा हुआ था, लेकिन दोनों दूसरे चूहों से सुनी जाने वाली खबरों के माध्यम से एक-दूसरे के साथ जुड़े रहते थे।

एक दिन, शहर के चूहे को अपने दोस्त से मिलने का मन हुआ, तो उसने अपने गांव आने की बात अपने दोस्त के जरिए गांव वाले चूहे तक पहुंचा दी और गांव का चूहा अपने शहरी दोस्त के स्वागत करने की तैयारियों में लग गया।

फिर वह दिन आया जब शहर का चूहा गांव पहुंचा। गांव के चूहे ने अपने दोस्त का वार्दन किया और दोनों ने धेर सारी बातें की। चर्चा करते समय, गांव के चूहे ने कहा, “शहर में तो बहुत प्रदूषण होगा, लेकिन यहां गांव का वातावरण काफी शुद्ध है।” इसके बाद, दोनों चूहे को भूख लगी। गांव के चूहे ने अपने दोस्त को फल, रोटी, और दाल-चावल परोसे। दोनों ने साथ बैठकर खुशी-खुशी से खाने का आनंद लिया।

खाने के बाद, दोनों चूहे गांव की खूबसूरती की सैर पर निकले। वे गांव की हरियाली का आनंद लेते थे। गांव के चूहे ने शहर के चूहे से पूछा, “क्या शहर में भी ऐसे ही हरे-भरे दृश्य हैं?” शहर के चूहे ने इस पर कोई जवाब नहीं दिया, लेकिन उसने अपने दोस्त को शहर आने के लिए आमंत्रित किया। पूरे दिन की सैर के बाद, दोनों चूहे रात को खाना खाने बैठे। गांव के चूहे ने फिर से अपने दोस्त को फल और अनाज परोसे। दोनों ने खाना खाया और सोने चले गए।

अगली सुबह, गांव के चूहे ने अपने दोस्त को नाश्ते में फिर से वही फल और अनाज परोसे। ये देखकर, शहर के चूहे को अच्छा नहीं लगा उसने कहा, “तुम्हारे यहां क्या हर रोज़ हर वक्त एक ही खाना होता है? क्या इसके अलावा कुछ और नहीं होता?”

शहर के चूहे ने अपने दोस्त को उत्साहित करते हुए कहा, “चलो, इसी वक्त शहर चलते हैं। वहां देखते हैं कि कितना आरामदायक जीवन है और कितने सारे खाने के विकल्प हैं।” गांव के चूहे ने अपने दोस्त के साथ यात्रा करने के लिए सहमति दिखाई।

दोनों चूहे शहर की ओर बढ़ गए। शहर पहुंचते ही, रात हो गई। शहर का चूहा एक बड़े से घर में रहता था, जिसकी बिल काफी बड़ी थी। गांव का चूहा बड़े घर को देखकर हैरान रह गया। उसने देखा कि टेबल पर कई प्रकार के खाद्य पदार्थ रखे गए थे। दोनों चूहे खाने के लिए बैठ गए। गांव के चूहे ने पनीर का टुकड़ा चखा। उसे पनीर काफी पसंद आया और उसने तुरंत उसे चट कर दिया।

अभी दोनों खाना खा ही रहे थे कि उन दोनों को बिल्ली की आवाज सुनाई दी। शहर के चूहे ने गांव के चूहे को तुरंत बिल में छुपने को कहा। उसने बोला, ‘दोस्त जल्दी से बिल में छुपो, नहीं तो बिल्ली हमारा शिकार कर लेगी।’ वो दोनों दौड़कर बिल में छुप गए। गांव का चूहा काफी डर गया था। थोड़े ही देर में बिल्ली वहां से चली गई और दोनों बाहर आ गए।

शहर के चूहे ने गांव के चूहे को हिम्मत देते हुए कहा ‘अब कोई डर नहीं मित्र, वो बिल्ली जा चुकी है। ये सब तो जीवन का हिस्सा है, सामान्य बात है।’ इसके बाद दोनों ने फिर से भोजन करना शुरू किया।

अभी गांव के चूहे ने ब्रेड खाना ही शुरू किया था कि दरवाजे पर आवाज हुई और एक लड़का एक बड़े से कुत्ते के साथ अंदर आने लगा। गांव के चूहे का डर और बढ़ गया और उसने इसके बारे में शहर के चूहे से पूछा। शहर के चूहे ने गांव के चूहे को पहले बिल में छुपने को कहा। फिर बिल में छुपे रहते हुए गांव के चूहे को बताया कि वो कुत्ता घर के मालिक का है, जो हमेशा यहां रहता है।

कुत्ते के जाने के बाद दोनों चूहे बिल से बाहर आए। इस बार गांव का चूहा पहले से भी ज्यादा डरा हुआ था। शहर का चूहा गांव के चूहे से कुछ कहता, उससे पहले ही गांव के चूहे ने जाने के लिए इजाजत मांगी।

गांव के चूहे ने अपने दोस्त को कहा ‘तुम्हारे इस स्वादिष्ट खाने के लिए तुम्हारा बहुत-बहुत शुक्रिया, लेकिन मैं यहां हर दिन अपनी जान को जोखिम में डालकर नहीं रह सकता दोस्त। स्वादिष्ट भोजन अपनी जगह और कीमती जान अपनी जगह।’ यह कहते हुए गांव का चूहा शहर छोड़कर गांव की तरफ निकल गया। फिर जब वो गांव पहुंचा, तो उसने चैन की सांस ली।

Moral : इस कहानी से यही सीख मिलती है कि खतरों से भरी आराम की जिंदगी में कभी सुख-चैन नहीं मिलता है। साधारण, लेकिन सुरक्षित जीवन ही सुखी जीवन है।

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Abhishri vithalani

I am a Hindi Blogger. I like to write stories in Hindi. I hope you will learn something by reading my blog, and your attitude toward living will also change.

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