Moral Panchtantra

शिकार का ऐलान – Panchtantra Story with Moral In Hindi

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Written by Abhishri vithalani

शिकार का ऐलान – Panchtantra Story with Moral In Hindi

अपने आसपास चापलूस लोगों को नहीं रखना चाहिए। वो हमेशा अपने फायदे के बारे में ही सोचते हैं। ये कहानी (शिकार का ऐलान – Panchtantra Story with Moral In Hindi) भी उसी के बारे में है।

कई दशक पहले की बात है, एक घने जंगल में कई जानवर बसे थे। इनमें एक शेर भी था और उसके साथ उसकी सेवा में लोमड़ी, भेड़िया, चीता और चील जैसे जानवर थे। शेर ने लोमड़ी को अपना सहायक, चीता को अपना अंगरक्षक, और भेड़िया को अपना गृहमंत्री बना रखा था। इनके अलावा, चीता जंगल की खबरें भी लाता था, उसका काम खबरदार की तरह था।

इन चारों को चापलूस मंडली कहा जाता था, भले ही वे शेर द्वारा ऊंचे पदों पर थे, लेकिन दूसरे जानवर इन्हें चापलूस कहकर हंसते थे। सबको पता था कि चारों को कोई काम नहीं था, लेकिन शेर की चापलूसी अपार थी। रोज़ाना चारों जानवर शेर के सम्मान में शब्द कह देते थे, जिससे वह बहुत खुश हो जाता था।

जब भी शेर शिकार करता, तो उसके बाद वह अपने सहायकों को भी खाने का हिस्सा दे देता था। इसके परिणामस्वरूप, लोमड़ी, भेड़िया, चीता और चील का जीवन बहुत आरामपूर्ण था।

एक दिन चील ने अपने सभी चापलूस दोस्तों को बताया कि काफी दिनों से सड़क के पास एक ऊंट बैठा हुआ है। भेड़िया ने पूछा कि क्या यह ऊंट अपने काफ़िले से बिछड़ गया है?

लोमड़ी ने इस सवाल के साथ ही यह कहा कि चाहे वो कुछ भी हो, हम उसका शिकार करवा सकते हैं शेर से। इतना कहकर सीधे लोमड़ी शेर के पास पहुंची और बड़े ही प्यार से बोली, ‘महाराज! हमारा दूत खबर लेकर आया है कि एक ऊंट हमारे इलाके में आकर सड़क के किनारे में बैठा हुआ है।’ मुझे किसी ने बताया था कि मनुष्य जिन जानवरों को पालते हैं उनका स्वाद काफी अच्छा होता है। एकदम राजाओं के खाने के लायक। अगर आप कहें, तो मैं यह एलान करवा दूं कि वह ऊंट आपका शिकार है?

लोमड़ी की इस खबर को सुनकर शेर ने इसकी समीक्षा कि, और उसने इसे स्वीकार कर लिया। उसने यह निर्णय लिया कि ऊंट का शिकार करने का प्रयास किया जाएगा।

अगले ही दिन, शेर ऊंट के पीछे गया और जंगल के एक कोने में उसे देखा। ऊंट शेर को देखकर डर के मारे भागने की कोशिश करता है, लेकिन उसकी हालत काफी बुरी होती है। उसकी पानी की कटौती हो चुकी है और उसकी आंखें पीली हो चुकी हैं।

शेर ने ऊंट से कहा, ‘दोस्त, तुम्हारी हालत क्यों इतनी खराब है?’

ऊंट दु:खी मन से उत्तर देता है, ‘महाराज, क्या आपको यह पता नहीं कि मानव कितने क्रूर होते हैं? मेरे साथ जीवनभर एक व्यापारी ने काम किया है, और अब मैं बीमार हो गया हूं, तो उसने मुझे छोड़ दिया है। उसने सोचा कि मैं उसके लिए किसी काम का नहीं हूं, इसलिए उसने मुझे अकेला मर जाने के लिए छोड़ दिया। अब आप ही मेरा शिकार करके मुझे मुक्ति दिलाइए।’

इन शब्दों को सुनकर शेर का दिल दुखी हो गया। उसने यह तय कर लिया कि यह एलान कर दिया जाएगा कि ऊंट का कोई भी शिकार नहीं करेगा।

शेर की इस दयालुता को देखकर चारों चापलूस जानवर हैरान रह गए। धीमी आवाज में भेड़िया ने कहा कि यह तो कोई बड़ी दिक्कत है, लेकिन हम इसे किसी तरीके से शिकार कर देंगे। जंगल के राजा के आदेश के बिना हम कुछ नहीं कर सकते।

ऊंट अब उसी जंगल में सुकून से रह रहा था। वह अच्छी तरह से हरी घास खाता था, और एक दिन वह पूरी तरह से स्वस्थ हो गया। वह हमेशा शेर के प्रति आदर भाव बनाए रखता था, और शेर के दिल में भी उसके लिए दया और प्यार था। अब शेर की शाही सवारी भी स्वस्थ ऊंट से होती थी। वह शेर के चारों पदाधिकारियों को अपनी पीठ पर बैठाकर चलता था।

एक दिन चापलूस जानवरों ने जंगल के राजा शेर से हाथी का शिकार करने की अनुमति मांगी। शेर ने स्वीकार कर लिया, लेकिन वह हाथी का शिकार करने में असफल रहा और उसे बहुत चोट आई।

अब बीमार शेर बिना शिकार किए किसी तरह से अपनी जिंदगी जीने लगा। उसके साथी भी भूखे रह गए और उनके मन में यह ख्याल आया कि वे इस मुश्किल समय में कैसे अपनी भूख मिटा सकते हैं। सभी ने मिलकर एक योजना बनाई और इसे राजा के सामने रख दिया।

सबसे पहले भेड़िए ने कहा कि महाराज आप कितने दिनों तक भूखे रहेंगे। मेरा शिकार करके मुझे खा लीजिए आपकी भूख मर जाएगी। फिर चील कहने लगी कि राजा साहब! भेड़िए का मांस खाने लायक नहीं होता है। आप मुझे खा लीजिए।

चील को पीछे धकेलते हुए लोमड़ी बोली, ‘तुम्हारा मांस इनके दांतों में ही लगकर रह जाएगा। आप इसे छोड़िए मुझे खा लीजिए।

एकदम से फिर चिता बोला कि इसके शरीर में आपको सिर्फ बाल ही मिलेंगे। आप मुझे खाकर अपनी भूख मिटा लीजिए।

ये सब उन चापलूस जानवरों का नाटक था, जिसे ऊंट नहीं समझ पाया। उसने भी एकदम से कहा कि महाराज, मेरी जिंदगी तो आपकी ही दी हुई है। आप इस तरह से भूखे क्यों रहेंगे। आप मुझे मारकर खा लीजिए।

चारों चापलूस जानवरों को इसी बात का इंतजार था। उन्होंने एकदम कहा कि ठीक है महाराज आप ऊंट को ही खा लीजिए। अब तो ये खुद ही कह रहा है कि मुझे खा लो और इसके शरीर में मांस भी काफी ज्यादा है। अगर आपकी तबीयत ठीक नहीं लग रही है, तो इसका शिकार हम कर देते हैं।

इतना कहते ही चीते और भेड़िये ने मिलकर एक साथ ऊंट पर हमला कर दिया। कुछ ही देर में ऊंट की मौत हो गई।

Moral : अपने आसपास चापलूस लोगों को नहीं रखना चाहिए। वो हमेशा अपने फायदे के बारे में ही सोचते हैं।

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Abhishri vithalani

I am a Hindi Blogger. I like to write stories in Hindi. I hope you will learn something by reading my blog, and your attitude toward living will also change.

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