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Small Story In Hindi – स्वावलंबन का पाठ

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Written by Abhishri vithalani

Small Story In Hindi – स्वावलंबन का पाठ

कई बार हम अपने छोटे – छोटे काम जो की हम खुद कर सकते है उसमे भी दुसरो से मदद मांगते है, जिससे हम अपना स्वावलंबन खोकर पराश्रित हो जाते है और इसकी वजह से वास्तविक मदद के हक़दारो को मदद मिलनी मुश्किल हो जाती है। इस कहानी (Small Story In Hindi – स्वावलंबन का पाठ) में उसी के बारे में बात की गयी है।

एक बार एक घुड़सवार कही जा रहा था। अचानक उसके हाथ से छूटकर घोड़े का चाबुक निचे गिर गया। उस समय रास्ते पर कई लोग चल रहे थे, मगर उसने किसी से उस चाबुक को उठाकर देने के लिए नहीं कहा।

वह खुद घोड़े को रोककर उतरा, चाबुक उठाया, फिर घोड़े पर सवार होकर पहले की तरह चलने लगा। साथ चल रहे कुछ लोगो ने यह देखा तो वह बोले, अरे आप खुद क्यों उतरे? हमसे कहते हम उठाकर पकड़ा देते। आपको इतना कष्ट नहीं करना पड़ता।

घुड़सवार ने कहा, आप एक तरह से ठीक कर रहे है, लेकिन मै आप में से किसी की मदद कैसे ले सकता था। जो उपकार करे उसके उपकार का बदला चुकाना चाहिए। फिर मै आपको तो जानता भी नहीं हु।

आपके उपकारा का बदला मै कैसे चुकता? आपका उपकार एक बोझ की तरह मेरे ऊपर रहता। पता नहीं दोबारा आप कभी मुझे मिले या ना मिले। एक राहगीर ने कहा, अरे, इसमें उपकार की क्या बात है। आप जैसे भले व्यक्ति का गिरा चाबुक उठाकर मै दे देता तो उसमे मेरा क्या जाता?

घुड़सवार ने कहा, बात दरअसल यह है की छोटे – छोटे कामो मै मदद लेते – लेते हमारी आदत बन जाती है और हम बड़े कामो मै भी दुसरो की मदद लेने लगते है।

इस तरह मनुष्य अपना स्वावलंबन खोकर पराश्रित हो जाता है और मामूली बातो के लिए भी दुसरो का मुँह ताकता रहता है। इसलिए जब तक हम संकट में न हो, हमें अपने थोड़े से आराम के लिए हर बार किसी की मदद नहीं लेनी चाहिए।

इस तरह जिनको मदद की जरूरत नहीं है, वे भी बार – बार मदद लेने लगेंगे तो वास्तविक मदद के हक़दारो को मदद मिलनी मुश्किल हो जाएगी।

इतना कहकर वह घुड़सवार आगे बढ़ गया। राहगीर उससे बड़े प्रभावित हुए। वे सोचने लगे की स्वावलंबन का इससे अच्छा पाठ और क्या हो सकता है।

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About the author

Abhishri vithalani

I am a Hindi Blogger. I like to write stories in Hindi. I hope you will learn something by reading my blog, and your attitude toward living will also change.

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